10 Lines On Sita Mata in Hindi– हेलो दोस्तों। स्वागत है आपका हमारे वेबसाइट Hindidrive.com में। आज हम आप सभी के लिए एक ऐसी नारी पर अपना लेख लेकर आए हैं। जिसे हिंदू धर्म में बहुत ही पवित्र देवी माना गया है। जो अपने पतिव्रता धर्म के लिए भी जानी जाती हैं। इनका नाम है- सीता। हां दोस्तों, हम माता सीता की बात कर रहे हैं। आज हम आपको अपने लेख के माध्यम से माता सीता के विषय में जानकारी प्रदान करेंगे।
दोस्तों, माता सीता जनक पुत्री और श्री राम की धर्मपत्नी थी। इनके त्याग व बलिदान को हम सभी अच्छे से जानते हैं। इन्होंने महल के सुख वैभव को छोड़कर अपने पति के साथ बनवास का दुख भोगना उचित समझा। वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण में इनका उल्लेख बहुत अच्छे से देखने को मिलता है। आज उसी उल्लेख को हम कुछ शब्दों में बता रहे हैं। तो आइए दोस्तों पढ़ते हैं, माता सीता पर 10 वाक्य।
10 Lines On Sita Mata in Hindi | सीता माता पर हिंदी मे १० पंक्तियाँ
- सीता माता वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण की नायिका हैं।
- सीता माता मिथिला के राजा जनक की जेष्ठ्य पुत्री थी। सीता के पिता का नाम जनक और माता का नाम सुनयना था। जनक की पुत्री होने के कारण इन्हें जानकी भी कहा जाता था।
- एक बार मिथिला में सूखा पड़ जाने के कारण राजा जनक ने परेशान होकर ऋषि उसे इस समस्या का उपाय जाना। ऋषियों ने उन्हें धरती पर हल जोतने के लिए और यज्ञ करने के लिए कहा। जब राजा हल जोत रहे थे, तो उन्हें धरती से एक सुंदर कन्या की प्राप्ति हुई। जिसका नाम उन्होंने सीता रखा और अपनी पुत्री के रूप में स्वीकार किया।
- सीता को मिथिला की राजकुमारी होने के कारण मैथिली भी कहा जाता है। और भूमि द्वारा पाए जाने के कारण इन्हें भूमि पुत्री भी कहा जाता है।
- सीता माता के स्वयंवर में श्रीराम द्वारा भगवान शिव का धनुष तोड़ने पर इनका विवाह श्रीराम से किया गया। इनका विवाह बहुत ही वैभव पूर्ण तरीके से संपन्न हुआ।
- विवाह पश्चात सीता माता श्री राम के साथ उनके अयोध्या राज्य में रहने लगी। कुछ समय पश्चात राजा दशरथ द्वारा केकई को वचन दिए जाने के कारण श्री राम को 14 वर्ष का वनवास जाना पड़ा। उनके साथ माता सीता और लक्ष्मण को भी वनवास का दुख भोगना पड़ा।
- माता सीता एक पवित्र, असाधारण, देवीय रूपी और पति धर्म का पालन करने वाले नारी थी। उन्होंने भी अपने पति के साथ वनवास जाने का निश्चय किया और बनवास में सभी प्रकार के दुखों के साथ अपना वनवास पूर्ण किया।
- 14 वर्ष के वनवास में रावण द्वारा सीता माता का अपहरण किए जाने पर सीता को रावण की अशोक वाटिका में रहना पड़ा। तब भी उन्होंने अपने सहनशीलता और पवित्रता को नहीं त्यागा।
- तब श्री राम ने रावण का वध किया और माता सीता को मुक्त कराया। माता सीता अग्नि परीक्षा देकर श्री राम के साथ वापस अयोध्या आ गई।
- अयोध्या आने के पश्चात लोगों द्वारा माता सीता के चरित्र पर शक करने के कारण माता सीता ने अयोध्या को त्याग दिया। और अकेली महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में रहने लगी।
- वाल्मीकि के आश्रम में उन्होंने अपने और श्रीराम के दो पुत्रों को जन्म दिया। जिनका नाम लव और कुश था। यह दोनों ही पुत्र बड़े तेजस्वी व वीर थे। उन्होंने अपने पिता श्री राम को भी अश्वमेध यज्ञ में परास्त कर दिया था।
- अंत में सीता माता अपने दोनों पुत्रों को श्री राम के साथ छोड़कर धरती में समाहित हो गई।
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